RAKESH TYAGI
Friday, October 16, 2015
Tuesday, October 13, 2015
Special feature on Raksha Bandhan.
Produced By Rakesh Tyagi
watch it on Youtube Link https://www.youtube.com/watch?v=GyhzOd-J1UM
Produced By Rakesh Tyagi
watch it on Youtube Link https://www.youtube.com/watch?v=GyhzOd-J1UM
'बहना ने भाई की कलाई पे प्यार बाँधा है, प्यार के दो तार से संसार
बाँधा है...
भाई की कलाई पर राखी बांधने का सिलसिला बहुत पुराना है। सावन की पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला राखी का यह त्योहार भाई बहन के प्यार का प्रतीक है। रक्षाबंधन के दिन बहनें भाइयों
की कलाई में राखी बांध कर तिलक करती हैं और उनसे अपनी रक्षा का संकल्प लेती हैं। इस दिन बांधे जाने वाले सूत्र को रक्षा सूत्र
कहा जाता है I राखी का क्षेत्र बहुत ही व्यापक है इसे पत्नी ने पति को, ब्राह्मण ने
राजा को, मुह बोली बहन ने भाई को यहाँ तक कि पुरुष भी पुरुष को राखी बाँध कर रक्षा
की कामना करते हैं । रक्षा का सिलसिला जब शुरू हुआ तो उसमें जात पात धर्म लिंग
भाषा से परे पति पत्नी के रिश्ते को भी इसमें समाहित कर लिया।
चली आती है अब तो हर कहीं बाज़ार की राखी । सुनहरी, सब्ज़, रेशम, ज़र्द और गुलनार की राखी
बनी है गो कि नादिर ख़ूब हर सरदार की राखी । सलूनों में अजब रंगीं है उस दिलदार की राखी
‘नज़ीर’ आया है बाम्हन बनके राखी बाँधने प्यारे । बँधा लो उससे तुम हँसकर अब इस त्यौहार की राखी.....
·
बदलते मौसम के साथ हल्की हल्की ठंड लपेटे जब वातावरण ले रहा होता
है करवटें,तभी कहीं दस्तक देती है एक दावत, उस उल्लास भरे त्यौहार को जो अपने नाम को
साकार करता,चार अक्षर का एक शब्द चारों दिशाओं को समेटे दसों दिशाओं को कर देता है
हरा भरा,दशहरा,शक्ति पर्व,विजय पर्व,उल्लास पर्व अनेक परम्पराओं और मान्यताओं को साथ
लिए बन जाता है राष्ट्रीय एकता का महापर्व उत्साह भरा दशहरा...
·
आइए चलें अतीत के उस गौरवशाली युग की ओर जहाँ का कालखण्ड इस
महापर्व का साक्षी बना... सतयुग बीतने के बाद बारी थी त्रेता युग की... वो काल
खण्ड जिसमें मर्यादा पुरूषोत्तम की जीवन गाथा ने आने वाले युगों को प्रभावित कर जो
अमिट छाप छोड़ी दशहरा उसी का पावन प्रतीक है... राम रावण युद्ध की निर्णायक वेला
में इस पर्व के बीज पड़ते हैं जब अनेक प्रयासों के बाद भी विजय पताका राम सेना की
पहुँच से दूर बनी हुई थी।...... ऐसे में श्रीराम ने की शक्ति की आराधना जिसका
वर्णन बड़े ही प्रभावशाली तरीक़े से महाकवि सूर्यकांत “त्रिपाठी निराला” ने किया
है राम की शक्ति पूजा में।
·
"मातः, दशभुजा, विश्वज्योति; मैं हूँ आश्रित;
हो विद्ध शक्ति से है खल महिषासुर मर्दित;
जनरंजन-चरण-कमल-तल, धन्य सिंह गर्जित!
यह, यह मेरा प्रतीक मातः समझा इंगित,
मैं सिंह, इसी भाव से करूँगा अभिनन्दित।"
हो विद्ध शक्ति से है खल महिषासुर मर्दित;
जनरंजन-चरण-कमल-तल, धन्य सिंह गर्जित!
यह, यह मेरा प्रतीक मातः समझा इंगित,
मैं सिंह, इसी भाव से करूँगा अभिनन्दित।"
·
"साधु, साधु, साधक धीर, धर्म-धन धन्य राम!"
कह, लिया भगवती ने राघव का हस्त थाम।
"होगी जय, होगी जय, हे पुरूषोत्तम नवीन।"
कह महाशक्ति राम के वदन में हुई लीन।
कह, लिया भगवती ने राघव का हस्त थाम।
"होगी जय, होगी जय, हे पुरूषोत्तम नवीन।"
कह महाशक्ति राम के वदन में हुई लीन।
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